बापू अब भी ज़िंदा है

महानाट्य ‘बापू अब भी ज़िंदा है’ का हेतु

बापूने स्वराज की लड़ाई को जनआंदोलन बना दिया और उनका ये जनआंदोलन केवल अंग्रेजी सरकार को हटाने भर के लिए नहीं था बल्कि व्यवस्था बदलने और पंक्ति के अंत में खड़े व्यक्ति तक विकास पंहुचाने के लिए था |

बापू के अहिंसक आंदोलनों से हम स्वाधीन तो हो गए लेकिन पंक्ति के अंत में खड़े व्यक्ति तक विकास पहुंचाने के प्रयास काम पड़ गए |

बापू के उस स्वप्न को पूरा करने के लिए और उनके विचारों को जिंदा रखने के लिए मोदी सरकार ने गत पांच वर्षो में क्या कुछ किया है और आने वाले पांच वर्षों में क्या कुछ किया जाने वाला है इसी को प्रतिपादित करता है हमारा महानाट्य ‘बापू अब भी ज़िंदा है’|

बापू को स्वच्छता का ब्रांड एम्बेसेडर बनाने को बात हो या उज्ज्वला योजना के तहत गरीब महिलायों को राहत देने की पहल हो मोदी सरकार ने बापू को ज़िंदा रखने की कोशिश की है |

बापू का विचार था कि भारत तो गांव में  बसता है और शासन को अपनी नीतियां गांवो और गांव के किसानों को केंद्र में रख कर ही बनानी चाहिए |

बापू के ग्राम विकास से ग्राम स्वजन ग्राम स्वराज से राम राज्य के विचार को जीवित रखने के लिए जनधन योजना के तहत किसानों के खाते खोले गए |

किसान सम्मान निधि योजना के तहत ६००० रुपये देने के शुरुआत की गई | ऐसे ना जाने कितने कदम उठाए गए |

बापू ४० करोड़ भारतीयों की बात करते थे | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी १२५ करोड़ देशवासियों की बात करते हुए ना केवल देश को विकास के पथ पर ले जा रहे हैं बल्कि बापू के राम राज्य के स्वपन को साकार करते हुए इस विचार को प्रमाणित कर रहे हैं की बापू अब भी ज़िंदा है |